![]() |
| वर्षम |
Toc
तेलुगु सिनेमा के इतिहास में कई फिल्में आईं और गईं, लेकिन कुछ फिल्में ऐसी होती हैं जो दर्शकों के दिलों में स्थायी स्थान बना लेती हैं। ऐसी ही एक फिल्म है ‘वर्षम’, जो 2004 में रिलीज़ हुई थी। प्रभास और त्रिशा कृष्णन की मुख्य भूमिकाओं वाली इस फिल्म ने उस समय बॉक्स ऑफिस पर न केवल जबरदस्त प्रदर्शन किया, बल्कि रोमांटिक सिनेमा की परिभाषा को भी एक नई दिशा दी।
अब, 21 वर्षों के लंबे अंतराल के बाद, ‘वर्षम’ को फिर से सिनेमाघरों में प्रदर्शित किया गया है। इसका उद्देश्य न केवल नई पीढ़ी को इस क्लासिक से परिचित कराना है, बल्कि पुराने दर्शकों की स्मृतियों को भी ताज़ा करना है। इस ऐतिहासिक दोबारा रिलीज़ को लेकर दर्शकों में खासा उत्साह देखने को मिल रहा है, विशेष रूप से दक्षिण भारत के राज्यों में।
फिल्म का पुनःप्रदर्शन: एक उत्सव जैसा माहौल
23 मई 2025 को जब 'वर्षम' को फिर से सिनेमाघरों में प्रदर्शित किया गया, तो यह कोई साधारण फिल्म रिलीज़ नहीं थी। यह एक त्योहार जैसा प्रतीत हुआ। विशेषकर विशाखापट्टनम, बेंगलुरु, हैदराबाद और चेन्नई जैसे शहरों में थिएटरों के बाहर लोगों की भारी भीड़ उमड़ पड़ी। फैंस ने नाच-गाकर, पटाखे चलाकर और पारंपरिक वेशभूषा में आकर इस क्षण को जश्न में बदल दिया।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर वायरल हो रहे वीडियो में दर्शकों की उत्सुकता और भावना स्पष्ट रूप से दिखाई देती है। एक वीडियो में एक पिता अपनी बेटी को कंधों पर बैठाकर ‘नुव्वोस्तानंते’ गाने पर नाचते नजर आते हैं। एक अन्य वीडियो में दर्शक थिएटर के भीतर छतरियां लेकर फिल्म के प्रतिष्ठित बारिश वाले दृश्यों को दोहराते हुए दिखते हैं।
‘वर्षम’: एक कालजयी प्रेम कहानी
‘वर्षम’ एक रोमांटिक एक्शन ड्रामा है, जिसकी कहानी वेंकट (प्रभास) और शैलजा (त्रिशा) के इर्द-गिर्द घूमती है। दोनों की पहली मुलाकात बारिश के मौसम में होती है, और यहीं से शुरू होती है एक ऐसी प्रेम कहानी जो दिल को छू लेने वाली है। हालांकि, इस प्रेम को एक खलनायक भद्रन्ना (गोपीचंद) से चुनौती मिलती है, जो शैलजा से जबरन विवाह करना चाहता है।
फिल्म में जहां रोमांस और इमोशंस हैं, वहीं एक्शन का भी भरपूर तड़का है। निर्देशक एम. एस. राजू ने इसे बहुत संतुलन और संजीदगी के साथ पेश किया है। संगीतकार देवी श्री प्रसाद के मधुर गीत, जैसे कि ‘नीति मुल्लई’ और ‘नुव्वोस्तानंते’, आज भी श्रोताओं के कानों में गूंजते हैं।
प्रभास और त्रिशा की जोड़ी: एक यादगार केमिस्ट्री
इस फिल्म के जरिए प्रभास ने अपनी अभिनय क्षमता का प्रमाण दिया, जबकि त्रिशा की यह तेलुगु सिनेमा में एक सशक्त शुरुआत थी। दोनों कलाकारों की ऑनस्क्रीन केमिस्ट्री को दर्शकों ने भरपूर सराहा। यह वही फिल्म थी जिसने प्रभास को एक रोमांटिक हीरो के रूप में स्थापित किया और उन्हें दक्षिण भारत में एक नया स्टारडम दिलाया।
त्रिशा ने एक इंटरव्यू में कहा था, “18 साल बाद भी 'वर्षम' मेरे दिल के सबसे करीब है। यह फिल्म मेरे करियर की नींव बनी और इसने मुझे दर्शकों से जोड़ा।”
फिल्म की विरासत और सांस्कृतिक प्रभाव
‘वर्षम’ सिर्फ एक फिल्म नहीं थी, यह एक भावनात्मक अनुभव था। इस फिल्म की लोकप्रियता को देखते हुए इसे तमिल में ‘मझाई’ और हिंदी में ‘बागी’ के रूप में रीमेक किया गया। इस फिल्म ने यह साबित कर दिया कि मजबूत कहानी, सजीव किरदार और उत्कृष्ट संगीत किसी भी फिल्म को कालजयी बना सकते हैं।
अब जब यह फिल्म 4K में रीमास्टर्ड रूप में सिनेमाघरों में वापस आई है, तो इसके तकनीकी पक्ष में भी उल्लेखनीय सुधार देखा जा सकता है। इससे न केवल पुराने दर्शकों को नई गुणवत्ता में वही भावनाएं अनुभव करने का अवसर मिला है, बल्कि नई पीढ़ी के लिए भी यह एक यादगार अनुभव बन गया है।
व्यवसायिक दृष्टिकोण से सफलता
फिल्म की दोबारा रिलीज़ ने टिकट बिक्री के मामले में भी अच्छा प्रदर्शन किया है। बुकिंग प्लेटफॉर्म्स पर अग्रिम बुकिंग में फिल्म को शीर्ष 10 में स्थान मिला और लगभग 34,000 टिकटों की बिक्री दर्ज की गई। यह आंकड़ा यह दर्शाता है कि फिल्म की लोकप्रियता आज भी बरकरार है।
भले ही यह चिरंजीवी की ‘इंद्रा’ जैसी फिल्मों की पुनः रिलीज़ से कुछ पीछे रही हो, लेकिन प्रभास की दूसरी फिल्मों जैसे ‘मिस्टर परफेक्ट’ की तुलना में इसका प्रदर्शन बेहतर रहा।
निष्कर्ष: पुरानी यादें, नई अनुभूतियां
21 साल बाद भी 'वर्षम' की पुनरावृत्ति इस बात का प्रमाण है कि एक अच्छी कहानी, सशक्त निर्देशन और उम्दा अभिनय कभी भी अपना आकर्षण नहीं खोते। यह फिल्म केवल एक सिनेमाई अनुभव नहीं, बल्कि एक भावनात्मक जुड़ाव है – विशेषकर उन दर्शकों के लिए जो इसे अपने किशोरावस्था या युवावस्था से जोड़ते हैं।
प्रभास और त्रिशा की इस अमर प्रेम कहानी ने दर्शकों के दिलों में जो स्थान बनाया है, वह समय की कसौटी पर खरा उतरा है। सिनेमाघरों में ‘वर्षम’ का यह नया जीवन न केवल दर्शकों के लिए एक खुशी का अवसर है, बल्कि भारतीय सिनेमा के लिए भी यह यादगार क्षण है।
